So for #Blogchatter weekly challenge on memoirs, i am writing a poem on the #PeshawarAttack.
Never ever forget the small coffins.
सुबह उठते ही कहा था तुझसे अम्मी
आज स्कूल नहीं जाऊंगा
बहुत ठण्ड है , थोड़ी देर और सोऊंगा
अलसाई आँखों को मलते
हाँथ में तुमने टूथब्रश क्यूँ पकडाया था
मुझे स्कूल भेजने के बदले
तूने मेरा फेवरेट टिफ़िन बनाया था
अम्मी ने बालों को फेरते हुए कहा था
इस जन्मदिन तुझे नया बस्ता दिलवायेंगे
और पापा ने डांट कर कहा था
बस छूटी तो हम स्कूल छोड़ने नहीं जायेंगे
अभी कल ही तो माँ ने नया ब्लेज़र बनवाया था
और पापा ने न्यू ईयर पर कराची का प्रोग्राम बनाया था
और आज़ छोटे ताबूतों से निकला मेरा एक मासूम सवाल
कि टीचर ने कभी T for Terrorist तो नहीं पढ़ाया था
माँ मैं अब कभी वापस नहीं आऊंगा
उस सुबह की आखिरी हंसी में रह जाऊंगा
पापा से कहना मेरे स्कूल ना आयें
तू देख नहीं पाएगी उन्हें मेरा ताबूत उठाये
“Wordsmiths are beyond words because they paint words and they write colors. Happy to be a part of #Blogbuddy program by @BlogChatter.”
A text book poem to keep, generations to come, aware n making them realize, abt this barbaric act...
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